चित्तौड़गढ़। अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर के अवसर पर एपीसी महाविद्यालय में गोष्ठी आयोजित हुई। प्राचार्य डॉ. संजय गील ने बताया कि महाविद्यालय में संचालित जनसंख्या प्रकोष्ठ के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में विविध नवीन कानूनों की जानकारी अपर जिला सत्र न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण केदारनाथ की उपस्थिति में हुआ । बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए अपर जिला सत्र न्यायाधीश केदारनाथ ने कहा की भारतीय संविधान में समस्त नागरिको को सर्वागीण विकास हेतु अनेक अधिकार प्रदान किये गए है, जिनकी जानकारी हर नागरिक को होनी चाहिये। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ने अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दिवस प्रतिवर्ष 17 जुलाई को मनाया जाता है। साथ ही सम्पूर्ण राष्ट्र में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) समाज के कमजोर वर्गों को निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करता है। यह विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत कार्य करता है। नालसा महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों, औद्योगिक कामगारों और दिव्यांग व्यक्तियों की मदद करता है। साथ ही हिरासत में लिए गए और कम आय वाले व्यक्तियों को
भी सहायता प्रदान करता है। प्राचार्य डॉ. संजय गील द्वारा विभिन्न कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी गई, जिसमे इनमें घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005, दहेज निषेध अधिनियम 1961 और कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न निषेध अधिनियम, मातृत्व लाभअधिनियम और कन्या भ्रूणहत्या से जुड़े कानूनी प्रावधानों पर प्रश्नोत्तर के माध्यम से चर्चा की गई। कार्यक्रम संयोजन व्याख्याता सुनीता खंडिया ने किया, जबकि इस अवसर पर विद्यार्थियों सहित सुधा आचार्य, डॉ. भावना सोनी, चक्रपाणी चौहान, रत्नेश करणपुरिया, बी. एल. आंजना, अजित सिंह राठोड, गोपाल माली, संस्कृति मेहता, शिखा शर्मा, डॉ. मिनाक्षी शर्मा, डॉ. अरुण वैष्णव, राजेश कदम, रणजीत लबाना, प्रधुम्न शर्मा, पूजा टांक, चेतना वैष्णव, पंकज शर्मा, ऋषभ जोशी, निरंजन वैष्णव आदि संकाय सदस्य उपस्थित रहे ।




