प्रतापगढ़ @ पत्रिका. एपीसी महाविद्यालय में पाश्र्वगायक मोहम्मद रफी को श्रद्धांजलि दी गयी। प्राचार्य डॉ संजय गील ने बताया कि महाविद्यालय द्वारा संचालित सांस्कृतिक साहित्यिक परिषद् के तत्वावधान में सदी के महान फनकार मौहम्मद रफी को श्रद्धांजलि प्रदान की गयी। कार्यक्रम का शुभारंभ स्कूल प्राचार्या के. डेरिक एवं अन्य के द्वारा रफी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर हुआ। प्राचार्य गील ने स्वागत उद्बोधन में मोहम्मद रफी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे ऐसे भारतीय फिल्म पाश्र्व गायक थे, जिन्हें भारतीय उपमहाद्वीप के महान और प्रभावशाली गायकों में से एक माना जाता है। रफी अपनी बहुमुखी प्रतिभा और आवाज की सीमा के लिए उल्लेखनीय रहे। वे ऐसे गायक है जिन्हें फिल्म में पर्दे पर गाने को लिप सिंक करने वाले अभिनेता के व्यक्तित्व और शैली के अनुसार अपनी आवाज को ढालने की क्षमता के लिए जाना जाता था। मो. रफी वे गायक रहे जिन्हें सर्वाधिक चार फिल्मफेयर पुरस्कार और एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। 1967 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
के. डेरिक ने कहा की ने मोहम्मद रफी की आवाज में अदम्य जोश, राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव और वतन पर सब कुछ न्योछावर कर देने का जो जज्या दिखाई देता है, वैसा किसी दूसरे गायक में कम ही दिखाई पड़ता है। यही कारण है कि देशभक्ति भरे अधिकांश गानों में रफी की आवाज ही पहली प्राथमिकता थी। श्रद्धांजलि के इस कार्यक्रम में सोसायटी सदस्यों द्वारा एक से बढकर गीतों की प्रस्तुतियां देकर रफी की यादों को जीवंत बना दिया। कार्यक्रम में डॉ. संजय गील ने तुम मुझे यू भुला ना पाओगे, दिल की आवाज भी सुन मेरे फसाने पे न जा, ललित विश्नावत ने दिल का सूना सा तराना ढूढेगा, हर्ष कुमावत आने से उसके आये बाहर, लक्ष्य शुक्ल क्या हुआ तेरा वादा चाहूँगा में तुझे सांझ सवेरे जुनेद खान ने बदन पे सितारे लपेटे हुए, शशिकांत दमामी ने आज मौसम बड़ा बेइमान है बड़ा, हारून ने तुमने मुझे देखा सहित अन्य स्थानीय कलाकारों ने एक से बढकर गीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के अंत में परिषद् द्वारा व्यसन मुक्ति और पर्यावरण जागरूकता दिलवाई गई। की शपथ
apcpratap