नवज्योति ब्यूरो प्रतापगढ़ नीमच रोड स्थित एपीसी महाविद्यालय में बसंत पंचमी पर्व मनाया गया। प्राचार्य डॉ. संजय गील ने बताया कि महाविद्यालय में संचालित सांस्कृतिक साहित्यिक प्रकोष्ठ के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की परंपरागत रूप से पूजा-अर्चना कर विद्यार्थियों की सफलता व खुशहाली के लिए प्रार्थना की गई। राजस्थान प्रशासनिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा से ठीक पूर्व आयोजित इस कार्यक्रम में शिरकत करते हुए शिक्षाविद् हितेश पालीवाल ने कहा कि आज के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। वसंत ऋतु को मधुमास के नाम से भी जाना जाता है और इसके आरम्भ होने के साथ ही सर्दी का समापन शुरू हो जाता है। इस मौसम में सभी वृक्ष पुरानी पत्तियों को त्यागकर नई पत्तियों एवं पुष्पों को जन्म देते हैं। बसंत पंचमी नव निर्माण, नव प्राण और नए हौंसले का प्रतीक का त्योहार है। प्राचार्य डॉ. संजय गील ने बसंत पंचमी के आध्यात्मिक महत्व पर मान्यताओं पर कहा कि वसंत पंचमी की तिथि पर विद्या और ज्ञान की अधिष्ठाती देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था और इसीलिए विद्याथियों के लिए यह दिन और भी महत्व रखता है। मां सरस्वती विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वे संगीत की देवी भी हैं। इस अवसर पर शिक्षाविद् ‌गुलाबचंद जैन, महेंद्र कुमार, व्याख्याता मेघा राठौर, सुधा सुधा आचार्य, डॉ. भावना सोनी, चक्रपाणी चैहान, रत्नेश करणपुरिया, बी. एल. आंजना, अजित सिंह राठौड़, गोपाल माली, डॉ. तनुजा जैन, शिखा शर्मा, डॉ. मिनाक्षी शर्मा, डॉ. अरुण वैष्णव, श्यामलाल पाटीदार, रणजीत लबाना, प्रद्युम्न शर्मा, पूजा टांक, चेतना वैष्णव, दीपिका कुमावत, पंकज शर्मा, सुरेश अंजना, ऋषभजोशी, निरंजन वैष्णव आदि संकाय सदस्य उपस्थित रहे।
0

You may also like

राज्यपाल दीक्षांत समारोह में आज करेंगे सम्मानित एपीसी कॉलेज ने बढ़ाया कांठल का मान
गीतों की प्रस्तुति द्वारा मोहम्मद रफी को दी श्रद्धांजलि
राष्ट्रीय शिक्षा नीति वैश्विक चुनोतियों का सामना करने में समर्थ- प्रोफेसर जोशी

apcpratap

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *