डॉ अम्बेडकर एक नाम हजार आयाम- सांसद रावत सामयिक परिदृश्य और डॉक्टर अंबेडकर पर गोष्ठी आयोजित
गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाड़ा एवं सम्बद्धक महाविद्यालयों के संयुक्त तत्वाधान में सामयिक परिदृश्य और डॉ भीमराव अंबेडकर विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ।
बतौर मुख्य वक्ता उदयपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद डॉ मत्रालाल रावत ने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि डॉ भीमराव अंबेडकर का जीवन विशाल एवं विराट है जिसे जितना चिंतन अध्ययन और लेखन शोध पर रखे वो और भी अनुसंधान की और ले जाता है। उन्होंने बताया कि अम्बेडकर का उनका संघर्ष अतुलनीय है उसके आयाम भी बहुत हैं विस्तृत हैं जिनको समग्र अध्ययन के माध्यम से समझा जा सकता है। सांसद रावत ने बताया कि वर्तमान में बाबा साहेब के विचारों को अलग-अलग प्रस्तुत करके अनेक वाद
और मत स्थापित किया जा रहे हैं, जबकि अंबेडकर का चिंतन और कर्म बहुत विशाल है जब तक उनका सामग्र आकलन नहीं होगा तब तक उनके प्रति कुछ दृष्टिकोण अधूरे हैं तो कुछ दृष्टिकोण तथ्यों की विपरीत हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कि अंबेडकर न केवल समाज और वर्ग के उत्थान के लिए प्रयास करते हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता में राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हुए सदैव दोहराया कि किसी भी विचार और कर्म का केंद्र देश होना चाहिए । सांसद रावत ने अनेक उदाहरण और प्रसंगों द्वारा वर्तमान क्षेत्रीय परिदृश्य में अंबेडकर के विचारों की आवश्यकता को रेखांकित किया। वास्तव में अंबेडकर के दृष्टिकोण से संविधान के माध्यम से सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए संत रामस्वरूप महाराज ने युवाओं से आह्वान किया कि धर्म जीवन की दशा और दिशा तय करने
वाला होता है धर्म केवल अध्यात्म और भक्ति ही नहीं सिखाता अपितु यह संपूर्ण जीवन के निर्माण की आधारशिला होती है यदि व्यक्ति धर्म प्रेरित जीवन जीता है तो वह प्रत्येक कर्मों को देश के हित में समर्पित कर आगे बढ़ने वाला जीवन का निर्माण करने में सक्षम हो सकेगा उन्होंने बताया कि हमारा धर्म और संस्कृति तब तक सनातन और शाश्वत है जब तक संगत और पंगत की रंगत बनी रहेगी तब तक हम कभी भी अपने संस्कृति की जड़ों से दूर नहीं हो सकते कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर केशव सिंह ठाकुर ने कहा की वर्तमान सरकार ने डॉक्टर अंबेडकर के सर्वकालिक विचारों को सभी तक पहुंचाने के लिए अनेक प्रयास किए हैं एवं इस हेतु संपूर्ण भारतवर्ष में पांच केन्द्र की स्थापना भी की गयी है। प्रोफेसर ठाकुर ने विश्वविद्यालय की योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस प्रकार की विचार
गोष्ठियों के द्वारा विद्यार्थियों में महापुरुषों के हृदय को उनके जीवन निर्माण में सार्थक और सहायक उपयोग लेने हेतु अभिप्रेरित करता है एवं उनके जीवन में भटकाव और अलगाव के विचार पनपन से पहले उन्हें सकारात्मक दिशा दिशा देने का प्रयास करता है कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन डॉ. नरेंद्र पानेरी ने एवं विषय प्रतिपादन विधि अधिष्ठाता डॉक्टर राकेश डामोर ने किया कार्यक्रम का संचालन ने एपीसी व्याख्याता डॉ. भावना सोनी किया जबकि आभार डॉ. लक्ष्मण परमार ने व्यक्त किया। समारोह में विश्वविद्यालय के शैक्षिक सलाहकार डॉ. महिपाल सिंह राव एपीसी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय गिल, प्राचार्य प्रोफेसर बीएल मीणा, जगन्नाथ तेली, डॉ. मोनिका शर्मा, डॉ. बिनु, डॉ. अभिमन्यू वशिष्ट सहित प्रतापगढ़ जिले के सभी महाविद्यालय के प्राचार्य एवं निदेशक उपस्थित रहे।