गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में उदयपुर लोकसभा सांसद डॉ. मनालाल रावत ने कहा कि डॉ. अंबेडकर का जीवन और विचार विशाल हैं, जिन्हें समझने के लिए निरंतर अध्ययन और अनुसंधान की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान में अंबेडकर के विचारों को केवल सामाजिक सुधारक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जबकि वे राष्ट्र निर्माण, विधि, शिक्षा और अर्थव्यवस्था सहित कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन के वाहक थे। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक हम अंबेडकर के सम्ा दृष्टिकोण का अध्ययन नहीं करेंगे, तब तक उनके विचारों को पूर्ण रूप से नहीं समझा जा सकता। मुख्य अतिथि संत रामस्वरूप महाराज ने युवाओं से आह्वान किया कि ‘धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण जीवन निर्माण का आधार है। यदि व्यक्ति धर्म प्रेरित जीवन जीता है, तो वह राष्ट्रहित में कर्म करने की प्रेरणा प्राप्त करता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केशव सिंह ठाकुर ने बताया कि डॉ. अंबेडकर के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पांच शोध केंद्रों की स्थापना की गई है।
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